तेज, क्षमा, धैर्य, बाहर की शुद्धि एवं किसी में भी शत्रुभाव का न होना और अपने में पूज्यता के अभिमान का अभाव- ये सब तो हे अर्जुन[1] ! दैवी सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुए पुरुष के लक्षण हैं ।।3।।
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Sublimity, forbearance, fortitude, external purity, bearing enmity to none and absence of self-esteem--these are the marks of him, who is born with the divine gifts Arjuna. (3)
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