हे अर्जुन[1] ! राग रूप रजोगुण को कामना और आसक्ति से उत्पन्न जान। वह इस जीवात्मा को कर्मों के और उनके फल के संबंध से बाँधता है ।।7।।
|
Arjuna, know the quality of rajas, which is of the nature of passion, as born of cupidity and attachment. It binds the soul through attachment, to actions and their result. (7)
|