"स्नेह दीप -दिनेश सिंह": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('<!-- सबसे पहले इस पन्ने को संजोएँ (सेव करें) जिससे आपको य...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - "हुयी " to "हुई ")
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<!-- सबसे पहले इस पन्ने को संजोएँ (सेव करें) जिससे आपको यह दिखेगा कि लेख बनकर कैसा लगेगा -->
[[चित्र:{{PAGENAME}}|thumb|{{PAGENAME}} लिंक पर क्लिक करके चित्र अपलोड करें]]
{{पुनरीक्षण}}<!-- कृपया इस साँचे को हटाएँ नहीं (डिलीट न करें)। इसके नीचे से ही सम्पादन कार्य करें। -->
'''आपको नया पन्ना बनाने के लिए यह आधार दिया गया है'''
{{स्वतंत्र लेखन नोट}}
{{स्वतंत्र लेखन नोट}}
{{Poemopen}}
{{Poemopen}}
पंक्ति 12: पंक्ति 7:


देख पाते कुछ पल ये नैन  
देख पाते कुछ पल ये नैन  
हुयी ओझल वो कर पद चाप
हुई ओझल वो कर पद चाप
दिखाकर तिरछे अपने गात  
दिखाकर तिरछे अपने गात  
हिला ज्यों मंद पवन में पात  
हिला ज्यों मंद पवन में पात  
पंक्ति 45: पंक्ति 40:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{स्वतंत्र लेख}}


[[Category:दिनेश सिंह]]
[[Category:दिनेश सिंह]]
[[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]] [[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]] [[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
__NOTOC__
__NOTOC__
__INDEX__
<!-- कृपया इस संदेश से ऊपर की ओर ही सम्पादन कार्य करें। ऊपर आप अपनी इच्छानुसार शीर्षक और सामग्री डाल सकते हैं -->
<!-- यदि आप सम्पादन में नये हैं तो कृपया इस संदेश से नीचे सम्पादन कार्य न करें -->
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
[[Category:नया पन्ना {{LOCALMONTHNAME}} {{LOCALYEAR}}]]
__INDEX__
__INDEX__

07:41, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।

गयी भर हृदय कोई झंकार
कली ज्यो अस्फुट त्यों थे गात
नयन यूँ चंचल ज्यों द्युतिमान
तेज मुख पर उर्वशी सामान

देख पाते कुछ पल ये नैन
हुई ओझल वो कर पद चाप
दिखाकर तिरछे अपने गात
हिला ज्यों मंद पवन में पात

अधर में यूँ मधुरिम मुस्कान
खिला ज्यों मुकुलों का मधुमास
पगो के नूपुर की रुनझुन
जलद से गिरे बूंद ज्यों धुन

खुले थे अनुपम केश कलाप
छायी हो ज्यों बदली आकाश
तरुण सुन्दरता-ज्यों जलजात
हुआ मन पल भर को अज्ञात

थे फैले तिछर्न नयन के जाल
गयी अविस्मित चितवन डाल
गूंथता ये मन सौरभ हार
कौन भर गयी हृदय झंकार

मेरे मानस का ये अंतरिछ
अभी सूना था कुछ पल पूर्व
एकाएक कौतूहल ये बोल
बोलने लगे जलद पट खोल

मेरे मन भावों का आकाश
उड़ा कैसे ये नही याख्यान
सहज भावो से वो सुकुमारि
हर लिया कैसे था अनजान

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

स्वतंत्र लेखन वृक्ष