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'''क्षारीय लावा शंकु'''
'''क्षारीय लावा शंकु'''


जब [[जवालामुखी]] [[लावा]] में सिलिका की मात्रा कम होती है, जिससे वह हल्का व पतला हो जाता है तथा दूर तक फैलकर ठण्डा हो जाता है। इस कारण कम ऊँचाई व अधिक क्षेत्रीय विस्तार वाले [[ज्वालामुखी शंकु]] का निर्माण होता है। क्षारीय लावा शंकु को 'शील्ड शंकु' भी कहते हैं।
जब [[ज्वालामुखी]] [[लावा]] में सिलिका की मात्रा कम होती है, जिससे वह हल्का व पतला हो जाता है तथा दूर तक फैलकर ठण्डा हो जाता है। इस कारण कम ऊँचाई व अधिक क्षेत्रीय विस्तार वाले [[ज्वालामुखी शंकु]] का निर्माण होता है। क्षारीय लावा शंकु को 'शील्ड शंकु' भी कहते हैं।


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07:53, 9 जून 2021 के समय का अवतरण

क्षारीय लावा शंकु

जब ज्वालामुखी लावा में सिलिका की मात्रा कम होती है, जिससे वह हल्का व पतला हो जाता है तथा दूर तक फैलकर ठण्डा हो जाता है। इस कारण कम ऊँचाई व अधिक क्षेत्रीय विस्तार वाले ज्वालामुखी शंकु का निर्माण होता है। क्षारीय लावा शंकु को 'शील्ड शंकु' भी कहते हैं।

इन्हें भी देखें: पर्वत, पहाड़ी, पर्वतमाला, पर्वत कटक एवं पर्वत श्रेणी


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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