"अंतर्वेद": अवतरणों में अंतर

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*यहाँ से पूर्व की ओर लगे [[कोसल]] तथा [[काशी जनपद]] थे।
*यहाँ से पूर्व की ओर लगे [[कोसल]] तथा [[काशी जनपद]] थे।
*अंतर्वेद की पश्चिमी तथा दक्षिणी सीमाओं पर '[[कुरु]]', '[[शूरसेन]]' तथा '[[चेदि]]' आदि का आवास था।
*अंतर्वेद की पश्चिमी तथा दक्षिणी सीमाओं पर '[[कुरु]]', '[[शूरसेन]]' तथा '[[चेदि]]' आदि का आवास था।
*ऐतिहासिक युग में इस प्रदेश में कई '[[अश्वमेघ यज्ञ]]' सम्पन्न हुए थे, जिनमें [[समुद्रगुप्त]] का [[यज्ञ]] बड़े महत्व का था।
*ऐतिहासिक युग में इस प्रदेश में कई '[[अश्वमेध यज्ञ]]' सम्पन्न हुए थे, जिनमें [[समुद्रगुप्त]] का [[यज्ञ]] बड़े महत्व का था।
*[[गुप्त काल]] की शासन व्यवस्था के अनुसार अंतर्वेद [[गुप्त साम्राज्य]] का 'विषय' या 'ज़िला' था।
*[[गुप्त काल]] की शासन व्यवस्था के अनुसार अंतर्वेद [[गुप्त साम्राज्य]] का 'विषय' या 'ज़िला' था।
*[[स्कंदगुप्त]] के समय अंतर्वेद का विषयपति शर्वनाग स्वयं सम्राट द्वारा नियुक्त किया गया था। स्कंदगुप्त के [[इंदौर]] से प्राप्त [[अभिलेख]] में अंतर्वेदिविषय के शासक शर्वनाग का उल्लेख है।
*[[स्कंदगुप्त]] के समय अंतर्वेद का विषयपति शर्वनाग स्वयं सम्राट द्वारा नियुक्त किया गया था। स्कंदगुप्त के [[इंदौर]] से प्राप्त [[अभिलेख]] में अंतर्वेदिविषय के शासक शर्वनाग का उल्लेख है।

14:30, 23 जुलाई 2014 का अवतरण

अंतर्वेद अथवा 'अंतर्वेदी' से अभिप्राय उस विस्तृत भू-खंड से है, जो गंगा और यमुना के बीच हरिद्वार से प्रयाग तक फैला हुआ था। यह एक समृद्ध दोआब प्रदेश था।[1] 'अंतर्वेदी' नाम प्राचीन संस्कृत अभिलेखों में प्राप्त है।


इन्हें भी देखें: गुप्त वंश, गुप्त काल एवं गुप्तकालीन कला और स्थापत्य


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अंतर्वेद (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 19 फ़रवरी, 2014।

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