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'''कुंतिभोज''' [[पाण्डव|पाण्डवों]] की [[कुंती|माता कुंती]] के पालक [[पिता]] थे। कुंती के पिता [[शूरसेन|राजा शूरसेन]] ने अपनी कन्या 'पृथा' ([[कुंती]]) को दान स्वरूप कुंतीभोज को सौंप दिया था, इसीलिए पृथा को 'कुंती' कहा गया।<ref>{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C |title=कुंतिभोज |accessmonthday= 24 फ़रवरी|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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*कुंतीभोज के पिता का नाम 'भीम' था और इनके दो पुत्र 'धृष्ट' तथा 'अनाधृष्ट' हुए थे।  
*कुंतीभोज के पिता का नाम 'भीम' था और इनके दो पुत्र 'धृष्ट' तथा 'अनाधृष्ट' हुए थे।  

12:23, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

कुंतिभोज पाण्डवों की माता कुंती के पालक पिता थे। कुंती के पिता राजा शूरसेन ने अपनी कन्या 'पृथा' (कुंती) को दान स्वरूप कुंतीभोज को सौंप दिया था, इसीलिए पृथा को 'कुंती' कहा गया।[1]

  • कुंतीभोज के पिता का नाम 'भीम' था और इनके दो पुत्र 'धृष्ट' तथा 'अनाधृष्ट' हुए थे।
  • 'हरिवंशपुराण' तथा 'महाभारत' आदि में कुंतिभोज की विस्तृत कथा मिलती है। 'श्रीमद्भगवद गीता' में भी कुंतिभोज का उल्लेख है।
  • कुंती के वास्तविक पिता शूर की भाँति कुंतिभोज भी यदुवंशी थे।
  • 'महाभारत' की लड़ाई में इन्होंने भी भाग लिया था।


इन्हें भी देखें: महाभारत, श्रीकृष्ण, पाण्डव एवं कौरव


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुंतिभोज (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 फ़रवरी, 2014।

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