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*इरावत [[अर्जुन]] तथा नागराज की कन्या [[उलूपी]] का पुत्र था। उसने [[महाभारत]] के युद्ध में महाबली राजकुमार विंद और अनुविंद को हरा दिया था। | *इरावत [[अर्जुन]] तथा नागराज की कन्या [[उलूपी]] का पुत्र था। उसने [[महाभारत]] के युद्ध में महाबली राजकुमार विंद और अनुविंद को हरा दिया था। | ||
*महाभारत के युद्ध में इरावत ने सुबल के पुत्रों अर्थात शुकुनि के भाइयों का हनन कर डाला था। इरावत से क्रुद्ध होकर [[दुर्योधन]] ने राक्षस ऋष्यशृंग के पुत्र अलंबुष की शरण ली। | *महाभारत के युद्ध में इरावत ने सुबल के पुत्रों अर्थात शुकुनि के भाइयों का हनन कर डाला था। | ||
*इरावत से क्रुद्ध होकर [[दुर्योधन]] ने राक्षस ऋष्यशृंग के पुत्र अलंबुष की शरण ली। | |||
*अलंबुष युद्ध क्षेत्र में पहुँचा तो इरावत ने उसका [[धनुष अस्त्र|धनुष]] और मस्तक काट डाला। | *अलंबुष युद्ध क्षेत्र में पहुँचा तो इरावत ने उसका [[धनुष अस्त्र|धनुष]] और मस्तक काट डाला। | ||
*अलंबुष क्रोध से पागल होकर आकाश में उड़ गया। इरावत ने भी आकाश में उड़कर उससे युद्ध किया। अलंबुष बाणों इत्यादि से कटने पर भी पुन: ठीक होने की शक्ति से सम्पन्न था तथा वह मायावी भी था। उसने तरह-तरह से इरावत को | *अलंबुष क्रोध से पागल होकर आकाश में उड़ गया। इरावत ने भी आकाश में उड़कर उससे युद्ध किया। अलंबुष बाणों इत्यादि से कटने पर भी पुन: ठीक होने की शक्ति से सम्पन्न था तथा वह मायावी भी था। उसने तरह-तरह से इरावत को कैद करने का प्रयत्न किया। | ||
*इरावत ने शेषनाग के समान विशाल रूप धारण कर लिया तथा बहुत से नागों के द्वारा राक्षस अलंबुष को आच्छादित कर दिया। राक्षस ने [[गरुड़]] का रूप धारण कर समस्त नागों का नाश कर दिया तथा इरावत को भी मार डाला। | *इरावत ने [[शेषनाग]] के समान विशाल रूप धारण कर लिया तथा बहुत से [[नाग|नागों]] के द्वारा राक्षस अलंबुष को आच्छादित कर दिया। राक्षस ने [[गरुड़]] का रूप धारण कर समस्त नागों का नाश कर दिया तथा इरावत को भी मार डाला। | ||
06:58, 13 सितम्बर 2011 का अवतरण
- इरावत अर्जुन तथा नागराज की कन्या उलूपी का पुत्र था। उसने महाभारत के युद्ध में महाबली राजकुमार विंद और अनुविंद को हरा दिया था।
- महाभारत के युद्ध में इरावत ने सुबल के पुत्रों अर्थात शुकुनि के भाइयों का हनन कर डाला था।
- इरावत से क्रुद्ध होकर दुर्योधन ने राक्षस ऋष्यशृंग के पुत्र अलंबुष की शरण ली।
- अलंबुष युद्ध क्षेत्र में पहुँचा तो इरावत ने उसका धनुष और मस्तक काट डाला।
- अलंबुष क्रोध से पागल होकर आकाश में उड़ गया। इरावत ने भी आकाश में उड़कर उससे युद्ध किया। अलंबुष बाणों इत्यादि से कटने पर भी पुन: ठीक होने की शक्ति से सम्पन्न था तथा वह मायावी भी था। उसने तरह-तरह से इरावत को कैद करने का प्रयत्न किया।
- इरावत ने शेषनाग के समान विशाल रूप धारण कर लिया तथा बहुत से नागों के द्वारा राक्षस अलंबुष को आच्छादित कर दिया। राक्षस ने गरुड़ का रूप धारण कर समस्त नागों का नाश कर दिया तथा इरावत को भी मार डाला।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
विद्यावाचस्पति, डॉक्टर उषा पुरी भारतीय मिथक कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, 30।
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