"गीता 14:13": अवतरणों में अंतर
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हे < | हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! तमोगुण के बढ़ने पर अन्त:करण और [[इन्द्रियाँ|इन्द्रियों]] में अप्रकाश, कर्मव्य-कर्मों में अप्रवृत्ति और प्रमाद अर्थात् व्यर्थ चेष्टा और निद्रादि अन्त:करण की मोहिनी वृत्तियाँ- ये सब ही उत्पन्न होते हैं ।।13।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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10:26, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-14 श्लोक-13 / Gita Chapter-14 Verse-13
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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