"बादल फटना": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " रुख " to " रुख़ ") |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''बादल फटने''' का अर्थ अचानक ही आए तूफ़ान और भीषण गर्जना के साथ तीव्र गति से होने वाली [[वर्षा]] से हैं। | '''बादल फटने''' का अर्थ अचानक ही आए तूफ़ान और भीषण गर्जना के साथ तीव्र गति से होने वाली [[वर्षा]] से हैं। | ||
*जब वातावरण में अधिक नमी होती है और हवा का | *जब वातावरण में अधिक नमी होती है और हवा का रुख़ कुछ ऐसा होता है कि बादल दबाव से ऊपर की ओर उठते हैं और पहाड़ से टकराते हैं। | ||
*इस स्थिति में तब पानी एक साथ बरसता है। | *इस स्थिति में तब पानी एक साथ बरसता है। | ||
*इन बादलों को 'क्यूलोनिवस' कहा जाता है। | *इन बादलों को 'क्यूलोनिवस' कहा जाता है। |
13:51, 3 फ़रवरी 2013 का अवतरण
बादल फटने का अर्थ अचानक ही आए तूफ़ान और भीषण गर्जना के साथ तीव्र गति से होने वाली वर्षा से हैं।
- जब वातावरण में अधिक नमी होती है और हवा का रुख़ कुछ ऐसा होता है कि बादल दबाव से ऊपर की ओर उठते हैं और पहाड़ से टकराते हैं।
- इस स्थिति में तब पानी एक साथ बरसता है।
- इन बादलों को 'क्यूलोनिवस' कहा जाता है।
- मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा पहाड़ी क्षेत्रों में बादल अधिक फ़टते हैं।
- सर्द-गर्म हवाओं के विपरीत दिशा में टकराना भी बादल फटने का मुख्य कारण माना जाता है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रक्रिया में पानी असमान्य तेज़ी से गिरता है, जिसे ज़मीन सोख नहीं पाती।
- वर्षा की गति बहुत तेज होती है, जो भूमि को नम नहीं बनाती, बल्कि मिट्टी को बहा देती है।
- वर्षा की तीव्रता इतनी अधिक होती है कि वह दो फुट के नाले को पानी के 50 फुट के नाले में तब्दील कर देती है।