"सेनामुख": अवतरणों में अंतर
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'''सेनामुख''' [[महाभारत|महाभारत युद्ध]] में सम्मिलित होने वाली [[अक्षौहिणी|अक्षौहिणी सेना]] का ही एक भाग था। इसके अंतर्गत [[पत्ति (सेना)|पत्ति]] के तीन गुना योद्धा होते थे। | '''सेनामुख''' [[महाभारत|महाभारत युद्ध]] में सम्मिलित होने वाली [[अक्षौहिणी|अक्षौहिणी सेना]] का ही एक भाग था। इसके अंतर्गत [[पत्ति (सेना)|पत्ति]] के तीन गुना योद्धा होते थे। | ||
*'[[महाभारत आदि पर्व]]' में वर्णन मिलता है कि एक बार [[ऋषि|ऋषियों]] ने [[उग्रश्रवा|उग्रश्रवा जी]] से पूछा- "सूतनन्दन ! आपने जो अक्षौहिणी शब्द का उच्चारण किया है, इसके सम्बन्ध में हम लोग सारी बातें यथार्थ रूप से सुनना चाहते हैं। अक्षौहिणी सेना में कितने पैदल, घोड़े, रथ और [[हाथी]] होते हैं? इसका हमें यथार्थ वर्णन सुनाइये, क्योंकि आपको सब कुछ ज्ञात है।"<ref> | *'[[महाभारत आदि पर्व]]' में वर्णन मिलता है कि एक बार [[ऋषि|ऋषियों]] ने [[उग्रश्रवा|उग्रश्रवा जी]] से पूछा- "सूतनन्दन ! आपने जो अक्षौहिणी शब्द का उच्चारण किया है, इसके सम्बन्ध में हम लोग सारी बातें यथार्थ रूप से सुनना चाहते हैं। अक्षौहिणी सेना में कितने पैदल, घोड़े, रथ और [[हाथी]] होते हैं? इसका हमें यथार्थ वर्णन सुनाइये, क्योंकि आपको सब कुछ ज्ञात है।"<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=महाभारत आदि पर्व|लेखक=|अनुवादक=साहित्याचार्य पण्डित रामनारायणदत्त शास्त्री पाण्डेय 'राम'|आलोचक= |प्रकाशक=गीताप्रेस, गोरखपुर|संकलन=भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन=|पृष्ठ संख्या=23-24|url=}}</ref> | ||
*उग्रश्रवा जी ने कहा- "एक रथ, एक हाथी, पाँच पैदल सैनिक और तीन घोड़े -बस, इन्हीं को सेना के सर्मज्ञ विद्वानों ने 'पत्ति' कहा है। इसी पत्ति की तिगुनी संख्या को विद्वान पुरुष 'सेनामुख' कहते हैं। तीन सेनामुखों को एक '[[गुल्म]]' कहा जाता है। | *उग्रश्रवा जी ने कहा- "एक रथ, एक हाथी, पाँच पैदल सैनिक और तीन घोड़े -बस, इन्हीं को सेना के सर्मज्ञ विद्वानों ने 'पत्ति' कहा है। इसी पत्ति की तिगुनी संख्या को विद्वान पुरुष 'सेनामुख' कहते हैं। तीन सेनामुखों को एक '[[गुल्म]]' कहा जाता है। | ||
==विभाग== | ==विभाग== | ||
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==सेना के भाग== | ==सेना के भाग== | ||
एक अक्षौहिणी सेना नौ भागों में बटी होती थी- | एक अक्षौहिणी सेना नौ भागों में बटी होती थी- | ||
#[[पत्ति]] - 1 गज + 1 रथ + 3 घोड़े + 5 पैदल सिपाही | #[[पत्ति (सेना)|पत्ति]] - 1 गज + 1 रथ + 3 घोड़े + 5 पैदल सिपाही | ||
#सेनामुख (3 x पत्ति) - 3 गज + 3 रथ + 9 घोड़े + 15 पैदल सिपाही | #सेनामुख (3 x पत्ति) - 3 गज + 3 रथ + 9 घोड़े + 15 पैदल सिपाही | ||
#[[गुल्म]] (3 x सेनामुख) - 9 गज + 9 रथ + 27 घोड़े + 45 पैदल सिपाही | #[[गुल्म]] (3 x सेनामुख) - 9 गज + 9 रथ + 27 घोड़े + 45 पैदल सिपाही |
05:32, 10 मई 2016 का अवतरण
सेनामुख महाभारत युद्ध में सम्मिलित होने वाली अक्षौहिणी सेना का ही एक भाग था। इसके अंतर्गत पत्ति के तीन गुना योद्धा होते थे।
- 'महाभारत आदि पर्व' में वर्णन मिलता है कि एक बार ऋषियों ने उग्रश्रवा जी से पूछा- "सूतनन्दन ! आपने जो अक्षौहिणी शब्द का उच्चारण किया है, इसके सम्बन्ध में हम लोग सारी बातें यथार्थ रूप से सुनना चाहते हैं। अक्षौहिणी सेना में कितने पैदल, घोड़े, रथ और हाथी होते हैं? इसका हमें यथार्थ वर्णन सुनाइये, क्योंकि आपको सब कुछ ज्ञात है।"[1]
- उग्रश्रवा जी ने कहा- "एक रथ, एक हाथी, पाँच पैदल सैनिक और तीन घोड़े -बस, इन्हीं को सेना के सर्मज्ञ विद्वानों ने 'पत्ति' कहा है। इसी पत्ति की तिगुनी संख्या को विद्वान पुरुष 'सेनामुख' कहते हैं। तीन सेनामुखों को एक 'गुल्म' कहा जाता है।
विभाग
महाभारत काल में किसी भी अक्षौहिणी सेना के चार विभाग होते थे-
- गज (हाँथी सवार)
- रथ (रथी)
- घोड़े (घुड़सवार)
- सैनिक (पैदल सिपाही)
सेना के भाग
एक अक्षौहिणी सेना नौ भागों में बटी होती थी-
- पत्ति - 1 गज + 1 रथ + 3 घोड़े + 5 पैदल सिपाही
- सेनामुख (3 x पत्ति) - 3 गज + 3 रथ + 9 घोड़े + 15 पैदल सिपाही
- गुल्म (3 x सेनामुख) - 9 गज + 9 रथ + 27 घोड़े + 45 पैदल सिपाही
- गण (3 x गुल्म) - 27 गज + 27 रथ + 81 घोड़े + 135 पैदल सिपाही
- वाहिनी (3 x गण) - 81 गज + 81 रथ + 243 घोड़े + 405 पैदल सिपाही
- पृतना (3 x वाहिनी) - 243 गज + 243 रथ + 729 घोड़े + 1215 पैदल सिपाही
- चमू (3 x पृतना) - 729 गज + 729 रथ + 2187 घोड़े + 3645 पैदल सिपाही
- अनीकिनी (3 x चमू) - 2187 गज + 2187 रथ + 6561 घोड़े + 10935 पैदल सिपाही
- अक्षौहिणी (10 x अनीकिनी) - 21870 गज + 21870 रथ + 65610 घोड़े + 109350 पैदल सिपाही
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत आदि पर्व |अनुवादक: साहित्याचार्य पण्डित रामनारायणदत्त शास्त्री पाण्डेय 'राम' |प्रकाशक: गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 23-24 |
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