मैदान

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मैदान 500 फ़ीट से कम ऊँचाई वाले भू-पृष्ठ के समतल भाग को कहा जाता है। मैदानों में ढाल प्राय: बिल्कुल नहीं होता है और इस प्रकार के क्षेत्रों में आकर नदियों के प्रवाह में भी कमी आ जाती है।

प्रकार

मैदान अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे-

  • अपरदनात्मक मैदान - नदी, हिमानी, पवन जैसी शक्तियों के अपरदन से इस प्रकार के मैदान बनते हैं। ये मैदान भी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
  1. लोएस मैदान - हवा द्वारा उड़ाकर लाई गई मिट्टी एवं बालू के कणों से निर्मित होता है।
  2. कार्स्ट मैदान - चूने पत्थर की चट्टानों के घुलने से निर्मित मैदान।
  3. समप्राय मैदान - समुद्र तल के निकट स्थित मैदान, जिनका निर्माण नदियों के अपरदन के फलस्वरूप होता है।
  4. ग्लेशियर मैदान - हिम के जमाव के कारण निर्मित दलदली मैदान, जहाँ पर केवल वन ही पाए जाते हैं।
  5. रेगिस्तानी मैदान - वर्षा के कारण बनी नदियों के बहने के फलस्वरूप इसका निर्माण होता है।
  • निक्षेपात्मक मैदान - नदी निक्षेप द्वारा बड़े–बड़े मैदानों का निर्माण होता है। इसमें गंगा, सतलुज, मिसी–सिपी एवं ह्वाग्हों के मैदान प्रमुख हैं। इस प्रकार के मैदानों में जलोढ़ का मैदान, डेल्टा का मैदान प्रमुख है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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