लावा शंकु

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लावा जब ज्वालामुखी के छिद्र के चारों ओर क्रमशः जमा होने लगता है तो ज्वालामुखी शंकु का निर्माण होता है। जब जमाव अधिक हो जाता है तो शंकु काफी बड़ा हो जाता है और पर्वत का रूप धारण कर लेता है।

  • लावा शंकु दो प्रकार के होते हैं-
अम्लीय लावा शंकु

इस प्रकार के शंकु का निर्माण उस समय होता है जब ज्वालामुखी लावा में सिलिका की मात्रा अधिक होती है। जिससे वह चिपचिपा व लसदार हो जाता है। ऐसे ज्वालामुखी शंकु अधिक ऊंचाई तथा कम क्षेत्रीय विस्तार वाले होते हैं।

क्षारीय लावा शंकु

जब जवालामुखी लावा में सिलिका की मात्रा कम होती है, जिससे वह हल्का व पतला हो जाता है तथा दूर तक फैलकर ठण्डा हो जाता है। इस कारण कम ऊँचाई व अधिक क्षेत्रीय विस्तार वाले ज्वालामुखी शंकु का निर्माण होता है। क्षारीय लावा शंकु को 'शील्ड शंकु' भी कहते हैं।

इन्हें भी देखें: पर्वत, पहाड़ी, पर्वतमाला, पर्वत कटक एवं पर्वत श्रेणी


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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