"मां, हर्पीज़ और आदिम चांदनी -अजेय" के अवतरणों में अंतर
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और भीतर का टीस गहराता ही गया है | और भीतर का टीस गहराता ही गया है | ||
− | मेरी बीमार बूढ़ी | + | मेरी बीमार बूढ़ी माँ ने दबे पांव कमरे में प्रवेश किया है |
मैं अखबारों के नीचे उसके टखनों का घाव देख सकता हूं | मैं अखबारों के नीचे उसके टखनों का घाव देख सकता हूं | ||
मेरी जांघों में असहनीय जलन हो आई है | मेरी जांघों में असहनीय जलन हो आई है | ||
− | जहां | + | जहां माँ के जैसे फफोले उग आए हैं |
चाँदनी रात का चलता जादू रूक गया है | चाँदनी रात का चलता जादू रूक गया है | ||
बन्जारों का डेरा तिरोहित हो गया है | बन्जारों का डेरा तिरोहित हो गया है | ||
− | मृग शावकों के ताज़ा लहू की गंध | + | मृग शावकों के ताज़ा लहू की गंध क़ायम है |
गीले अखबार से भुने गोश्त की महक अभी उठ रही है | गीले अखबार से भुने गोश्त की महक अभी उठ रही है | ||
और माँ की तप्त आकांक्षाओं से छनते हुए आ रहे हैं | और माँ की तप्त आकांक्षाओं से छनते हुए आ रहे हैं | ||
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<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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{{समकालीन कवि}} | {{समकालीन कवि}} | ||
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14:08, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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यह कोई आदिम युग ही होगा |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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