तू शास्त्र विहित कर्तव्य कर्म कर, क्योंकि कर्म न करने की अपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है तथा कर्म न करने से तेरा शरीर निर्वाह भी नहीं सिद्ध होगा ।।8।।
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Therefore, do you perform your allotted duty; for action is superior to inaction. Desisting from action, you cannot even maintain your body.(8)
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