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'''मैदान''' 500 फ़ीट से कम ऊँचाई वाले भू-पृष्ठ के समतल भाग को कहा जाता है। मैदानों में ढाल प्राय: बिल्कुल नहीं होता है और इस प्रकार के क्षेत्रों में आकर नदियों के प्रवाह में भी कमी आ जाती है। | '''मैदान''' 500 फ़ीट से कम ऊँचाई वाले भू-पृष्ठ के समतल भाग को कहा जाता है। मैदानों में ढाल प्राय: बिल्कुल नहीं होता है और इस प्रकार के क्षेत्रों में आकर नदियों के प्रवाह में भी कमी आ जाती है। धरातल पर मिलने वाले अपेक्षाकृत समतल और निम्न भू-भाग को मैदान कहा जाता है। इनका ढाल एकदम न्यून होता है। | ||
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|+ विश्व के प्रमुख मैदान | |||
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|मध्यवर्ती बड़ा मैदान या ग्रेट मैदान | |||
|कनाडा तथा [[अमेरिका]] | |||
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|अमेजन का मैदान | |||
|[[दक्षिणी अमेरिका|दक्षिण अमेरिका]] | |||
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|पेटागोनिया का मैदान | |||
|[[दक्षिणी अमेरिका|दक्षिण अमेरिका]] | |||
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|पम्पास का मैदान | |||
|[[दक्षिणी अमेरिका|दक्षिण अमेरिका]] | |||
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|[[फ्रांस]] का मैदान | |||
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|[[यूरोप]] का बड़ा | |||
|[[यूरोप]] मैदान | |||
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|द. साइबेरिया का मैदान | |||
|[[यूरोप]] एवं [[एशिया]] | |||
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|सहारा का मैदान | |||
|[[अफ्रीका]] | |||
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|नील नदी का मैदान | |||
|मिस्त्र ([[अफ्रीका]]) | |||
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|सिन्धु का मैदान | |||
|[[भारत]]-[[पाकिस्तान]] | |||
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==प्रकार== | ==प्रकार== | ||
मैदान अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे- | मैदान अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे- | ||
*'''अपरदनात्मक मैदान''' - नदी, हिमानी, पवन जैसी शक्तियों के अपरदन से इस प्रकार के मैदान बनते हैं। ये मैदान भी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं- | *'''अपरदनात्मक मैदान''' - ऐसे मैदानों का निर्माण अपक्षय तथा अपरदन की क्रियाओं के परिणामस्वरूप होता है। नदी, हिमानी, पवन जैसी शक्तियों के अपरदन से इस प्रकार के मैदान बनते हैं। जैसे उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरोप, पश्चिमी सर्बिया आदि। ये मैदान भी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं- | ||
#'''लोएस मैदान''' - हवा द्वारा उड़ाकर लाई गई [[मिट्टी]] एवं बालू के कणों से निर्मित होता है। | #'''लोएस मैदान''' - हवा द्वारा उड़ाकर लाई गई [[मिट्टी]] एवं बालू के कणों से निर्मित होता है। | ||
#'''कार्स्ट मैदान''' - चूने पत्थर की चट्टानों के घुलने से निर्मित मैदान। | #'''कार्स्ट मैदान''' - चूने पत्थर की चट्टानों के घुलने से निर्मित मैदान। | ||
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#'''ग्लेशियर मैदान''' - हिम के जमाव के कारण निर्मित दलदली मैदान, जहाँ पर केवल वन ही पाए जाते हैं। | #'''ग्लेशियर मैदान''' - हिम के जमाव के कारण निर्मित दलदली मैदान, जहाँ पर केवल वन ही पाए जाते हैं। | ||
#'''रेगिस्तानी मैदान''' - [[वर्षा]] के कारण बनी नदियों के बहने के फलस्वरूप इसका निर्माण होता है। | #'''रेगिस्तानी मैदान''' - [[वर्षा]] के कारण बनी नदियों के बहने के फलस्वरूप इसका निर्माण होता है। | ||
*'''निक्षेपात्मक मैदान''' - नदी निक्षेप द्वारा बड़े–बड़े मैदानों का निर्माण होता है। इसमें [[गंगा]], [[सतलुज]], मिसी–सिपी एवं ह्वाग्हों के मैदान प्रमुख हैं। इस प्रकार के मैदानों में जलोढ़ का मैदान, डेल्टा का मैदान प्रमुख है। | *'''निक्षेपात्मक मैदान''' - अपरदन के कारकों द्वारा धरातल के किसी भाग से अपरदित पदार्थों को परिवहित करके उन्हें दूसरे सथान पर निक्षेपित कर देने से एसे मैदानों की उत्पत्ति होती है। उदाहरण- गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान (उत्तर भारत), ह्वांगो (चीन) आदि। नदी निक्षेप द्वारा बड़े–बड़े मैदानों का निर्माण होता है। इसमें [[गंगा]], [[सतलुज]], मिसी–सिपी एवं ह्वाग्हों के मैदान प्रमुख हैं। इस प्रकार के मैदानों में जलोढ़ का मैदान, डेल्टा का मैदान प्रमुख है। | ||
*'''रचनात्मक मैदान'''- रचनात्मक मैदानों का निर्माण पटल विरुपणी बलों के परिणामसवरूप समुद्री भागों में निक्षेपित जमावों के ऊपर उठाने से होता है। जैसे कोरोमण्डल व उत्तरी सरकार ([[भारत]])। | |||
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10:53, 23 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
मैदान 500 फ़ीट से कम ऊँचाई वाले भू-पृष्ठ के समतल भाग को कहा जाता है। मैदानों में ढाल प्राय: बिल्कुल नहीं होता है और इस प्रकार के क्षेत्रों में आकर नदियों के प्रवाह में भी कमी आ जाती है। धरातल पर मिलने वाले अपेक्षाकृत समतल और निम्न भू-भाग को मैदान कहा जाता है। इनका ढाल एकदम न्यून होता है।
क्रमांक | नाम | स्थिति |
---|---|---|
1. | मध्यवर्ती बड़ा मैदान या ग्रेट मैदान | कनाडा तथा अमेरिका |
2. | अमेजन का मैदान | दक्षिण अमेरिका |
3. | पेटागोनिया का मैदान | दक्षिण अमेरिका |
4. | पम्पास का मैदान | दक्षिण अमेरिका |
5. | फ्रांस का मैदान | फ्रांस (यूरोप) |
6. | यूरोप का बड़ा | यूरोप मैदान |
7. | द. साइबेरिया का मैदान | यूरोप एवं एशिया |
8. | सहारा का मैदान | अफ्रीका |
9. | नील नदी का मैदान | मिस्त्र (अफ्रीका) |
10. | सिन्धु का मैदान | भारत-पाकिस्तान |
प्रकार
मैदान अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे-
- अपरदनात्मक मैदान - ऐसे मैदानों का निर्माण अपक्षय तथा अपरदन की क्रियाओं के परिणामस्वरूप होता है। नदी, हिमानी, पवन जैसी शक्तियों के अपरदन से इस प्रकार के मैदान बनते हैं। जैसे उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरोप, पश्चिमी सर्बिया आदि। ये मैदान भी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
- लोएस मैदान - हवा द्वारा उड़ाकर लाई गई मिट्टी एवं बालू के कणों से निर्मित होता है।
- कार्स्ट मैदान - चूने पत्थर की चट्टानों के घुलने से निर्मित मैदान।
- समप्राय मैदान - समुद्र तल के निकट स्थित मैदान, जिनका निर्माण नदियों के अपरदन के फलस्वरूप होता है।
- ग्लेशियर मैदान - हिम के जमाव के कारण निर्मित दलदली मैदान, जहाँ पर केवल वन ही पाए जाते हैं।
- रेगिस्तानी मैदान - वर्षा के कारण बनी नदियों के बहने के फलस्वरूप इसका निर्माण होता है।
- निक्षेपात्मक मैदान - अपरदन के कारकों द्वारा धरातल के किसी भाग से अपरदित पदार्थों को परिवहित करके उन्हें दूसरे सथान पर निक्षेपित कर देने से एसे मैदानों की उत्पत्ति होती है। उदाहरण- गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान (उत्तर भारत), ह्वांगो (चीन) आदि। नदी निक्षेप द्वारा बड़े–बड़े मैदानों का निर्माण होता है। इसमें गंगा, सतलुज, मिसी–सिपी एवं ह्वाग्हों के मैदान प्रमुख हैं। इस प्रकार के मैदानों में जलोढ़ का मैदान, डेल्टा का मैदान प्रमुख है।
- रचनात्मक मैदान- रचनात्मक मैदानों का निर्माण पटल विरुपणी बलों के परिणामसवरूप समुद्री भागों में निक्षेपित जमावों के ऊपर उठाने से होता है। जैसे कोरोमण्डल व उत्तरी सरकार (भारत)।
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