"गीता 16:4": अवतरणों में अंतर
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'''दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोध: | '''दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोध: पारुष्यमेव च ।'''<br /> | ||
'''अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ संपदमासुरीम् ।।4।।'''</div> | '''अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ संपदमासुरीम् ।।4।।'''</div> | ||
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हे < | हे पार्थ<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! दम्भ, घमण्ड और अभिमान तथा क्रोध, कठोरता और अज्ञान भी- ये सब आसुरी-सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुए पुरुष के लक्षण हैं ।।4।। | ||
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पार्थ = हे पार्थ ; दम्म: = पाखण्ड ; दर्प: = घमण्ड ; च = और ; अभिमान: = अभिमान ; च = तथा ; क्रोध: = क्रोध ; च = और ; | पार्थ = हे पार्थ ; दम्म: = पाखण्ड ; दर्प: = घमण्ड ; च = और ; अभिमान: = अभिमान ; च = तथा ; क्रोध: = क्रोध ; च = और ; पारुष्यम् = कठोर वाणी (एवं) ; अज्ञानम् = अज्ञान ; एव = भी (यह सब) ; आसुरीम् = आसुरी ; संपदम् = संपदा को ; अभिजातस्य = प्राप्त हुए पुरुष के (लक्षण हैं) ; | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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11:56, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-16 श्लोक-4 / Gita Chapter-16 Verse-4
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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