"गीता 16:7": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार आसुरी प्रकृति वाले मनुष्य समुदाय के लक्षण सुनने के लिये < | इस प्रकार आसुरी प्रकृति वाले मनुष्य समुदाय के लक्षण सुनने के लिये [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> को सावधान करके अब भगवान् उनका वर्णन करते हैं- | ||
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आसुरी स्वभाव वाले मनुष्य प्रवृत्ति और निवृत्ति इन दोनों को ही नहीं | आसुरी स्वभाव वाले मनुष्य प्रवृत्ति और निवृत्ति इन दोनों को ही नहीं जानते। इसलिये उनमें न तो बाहर-भीतर की शुद्धि है, न श्रेष्ठ आचरण है और न ही सत्य भाषण है ।।7।। | ||
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11:58, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-16 श्लोक-7 / Gita Chapter-16 Verse-7
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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