"गीता 16:9": अवतरणों में अंतर
छो (Text replace - "<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>" to "<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>") |
No edit summary |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति 9: | पंक्ति 8: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
ऐसे नास्तिक सिद्धान्त के मानने वालों के स्वभाव और आचरण कैसे होते है ? इस जिज्ञासा पर अब भगवान् अगले चार श्लोकों में उनके लक्षणों का वर्णन करते हैं- | ऐसे नास्तिक सिद्धान्त के मानने वालों के स्वभाव और आचरण कैसे होते है? इस जिज्ञासा पर अब भगवान् अगले चार [[श्लोक|श्लोकों]] में उनके लक्षणों का वर्णन करते हैं- | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
पंक्ति 57: | पंक्ति 56: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | {{गीता2}} | ||
</td> | </td> |
12:10, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-16 श्लोक-9 / Gita Chapter-16 Verse-9
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||