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12:12, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

गीता अध्याय-16 श्लोक-12 / Gita Chapter-16 Verse-12

आशापाशशतैर्बद्धा: कामक्रोधपरायणा: ।

ईहन्ते कामभोगार्थमन्यायेनार्थसंचयान् ।।12।।


वे आशा की सैकड़ों फाँसियों से बँधे हुए मनुष्य काम-क्रोध के परायण होकर विषय-भोगों के लिये अन्यायपूर्वक धनादि पदार्थों को संग्रह करने की चेष्टा करते रहते हैं ।।12।।

Held in bondage by hundreds of ties of expectation and wholly giving themselves up to lust and anger, they strive to amass by unfair mean hoards of money and other objcts for the enjoyment of sensuous pleasures. (12)


आशापाशशतै: = आशारूप सैकडों फांसियों से ; बद्धा: = बंधे हुए ; कामभोगर्थम् = विषयभोगों की पूर्तिके लिये ; अन्यायेन = अन्यायपूर्वक ; कामक्रोधपरायणा: = काम क्रोध के परायण हुए ; अर्थसच्चयान् = धनादि क बहुत से पदार्थों को (संग्रह करने की) ; ईहन्ते = चेष्टा करते हैं ;



अध्याय सोलह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-16

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15, 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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