"गीता 16:13": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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पिछले चार श्लोकों में आसुर स्वभाव वाले मनुष्यों के लक्षण और आचरण बतलाकर अब अगले चार श्लोकों में उनके 'अहंता' 'ममता' और 'मोह' युक्त संकल्पों का निरूपण करते हुए उनकी दुर्गति का वर्णन करते हैं- | पिछले चार [[श्लोक|श्लोकों]] में आसुर स्वभाव वाले मनुष्यों के लक्षण और आचरण बतलाकर अब अगले चार श्लोकों में उनके 'अहंता' 'ममता' और 'मोह' युक्त संकल्पों का निरूपण करते हुए उनकी दुर्गति का वर्णन करते हैं- | ||
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वे सोचा करते हैं कि मैंने आज यह प्राप्त कर लिया है और अब इस मनोरथ को प्राप्त कर | वे सोचा करते हैं कि मैंने आज यह प्राप्त कर लिया है और अब इस मनोरथ को प्राप्त कर लूँगा। मेरे पास यह इतना धन है और फिर भी यह हो जायेगा ।।13।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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12:12, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-16 श्लोक-13 / Gita Chapter-16 Verse-13
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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