"गीता 16:14": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>" to "<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>")
No edit summary
 
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<table class="gita" width="100%" align="left">
<table class="gita" width="100%" align="left">
<tr>
<tr>
पंक्ति 19: पंक्ति 18:
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|


वह शत्रु मेरे द्वारा मारा गया और उन दूसरे शत्रुओं को भी मैं मार डालूँगा । मैं ईश्वर हूँ, ऐश्वर्य को भोगने वाला हूँ । मैं सब सिद्धियों से युक्त हूँ और बलवान् तथा सुखी हूँ ।।14।।  
वह शत्रु मेरे द्वारा मारा गया और उन दूसरे शत्रुओं को भी मैं मार डालूँगा। मैं ईश्वर हूँ, ऐश्वर्य को भोगने वाला हूँ। मैं सब सिद्धियों से युक्त हूँ और बलवान् तथा सुखी हूँ ।।14।।  
   
   
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
पंक्ति 54: पंक्ति 53:
<tr>
<tr>
<td>
<td>
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{गीता2}}
{{गीता2}}
</td>
</td>

12:13, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

गीता अध्याय-16 श्लोक-14 / Gita Chapter-16 Verse-14

असौ मया हत: शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि ।

ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान्सुखी ।।14।।


वह शत्रु मेरे द्वारा मारा गया और उन दूसरे शत्रुओं को भी मैं मार डालूँगा। मैं ईश्वर हूँ, ऐश्वर्य को भोगने वाला हूँ। मैं सब सिद्धियों से युक्त हूँ और बलवान् तथा सुखी हूँ ।।14।।

That enemy has been slain by me and I shall kill those others too. I am the Lord of all, the enjoyer of all power; I am endowed with all supernatural powers, and am mighty and happy. (14)


असौ = वह ; शत्रु: = शत्रु ; मया = मेरे द्वारा ; हत: = मारा गया(और) ; अपरान् = दूसरे शत्रुओं को ; अपि = भी ; अहम् = मैं ; हनिष्ये = मारूंगा (तथा) ; अहम् = मैं ; ईश्र्वर: = ईश्र्वर ; च = और ; भोगी = ऐश्वर्य को भोगने वाला हूं (और) ; अहम् = मैं ; सिद्ध: = सब सिद्धियों से युक्त (एवं) ; बलवान् = बलवान् (और) ; सुखी = सुखी हूं ;



अध्याय सोलह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-16

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15, 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख