"भीतर उगा हुआ आदमी -अजेय": अवतरणों में अंतर

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! अजेय् की रचनाएँ
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13:18, 26 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।
भीतर उगा हुआ आदमी -अजेय
कवि अजेय
जन्म स्थान (सुमनम, केलंग, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अजेय की रचनाएँ

वह मुझ से बड़ा नहीं होना चाहता
 
मेरे अनुभवों और प्रभावों के दायरे से
बाहर निकलने की तो सोच भी नहीं सकता

मुझ में ही ,मेरे साथ
एक होकर रहना चाहता है

लेकिन मुझे देखना है उसे अपने से इतर
हर हाल में
हाथ बढ़ा कर करनी है दोस्ती
और मुक्त कर देना है उसे
तमाम दूसरे मित्रों की तरह ......

कि जाओ दोस्त,
 तुम भी हवाओं को चूमो
पेड़ों सा झूमो
चहक उठो पक्षियों की तरह
बादलों सा बरसो
छा जाओ बरफ की तरह पर्वतों और पठारों पर
बस यही एक जीवन है
यही एक दुनिया

भीतर उगा हुआ आदमी खामोश रहता है

मैं बौखलाता हूं

फिर पसीज कर
काँपता हूं / फिर
हो जाता हूं थिर

प्रतीक्षारत
कि वह आदमी


पेड़
पक्षी
बादल
या बरफ बन जाए !


1989


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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