"आज जब वह जा रही है -अजेय": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replacement - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{स्वतंत्र लेख}}")
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{स्वतंत्र लेखन नोट}}
{| style="background:transparent; float:right"
{| style="background:transparent; float:right"
|-
|-
पंक्ति 20: पंक्ति 21:
<div style="border:thin solid #a7d7f9; margin:10px">
<div style="border:thin solid #a7d7f9; margin:10px">
{|  align="center"
{|  align="center"
! अजेय् की रचनाएँ
! अजेय की रचनाएँ
|}
|}
<div style="height: 250px; overflow:auto; overflow-x: hidden; width:99%">
<div style="height: 250px; overflow:auto; overflow-x: hidden; width:99%">
पंक्ति 79: पंक्ति 80:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{स्वतंत्र लेख}}
{{समकालीन कवि}}
{{समकालीन कवि}}
[[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:अजेय]][[Category:कविता]]
[[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:अजेय]][[Category:कविता]]

13:18, 26 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।
आज जब वह जा रही है -अजेय
कवि अजेय
जन्म स्थान (सुमनम, केलंग, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अजेय की रचनाएँ

वह जब थी
तो कुछ इस तरह थी
जैसे कोई भी बीमार बुढ़िया होती है
शहर के किसी भी घर में
अपने दिन गिनती

वह जब थी
इस शहर को
और इस घर को
नहीं था कोई सरोकार
कि अपनी पीड़ाओं और संघर्षों के साथ
वह कितनी अकेली थी

कहाँ शामिल था खुद मैं भी
उस तरह से
उस के होने में
जिस तरह से कि इस अंतिम यात्रा में हूँ ?

आज जब जा रही है वह
तो रो रहा है घर
स्तब्ध है शहर
खड़ा है कोई हाथ जोड़ कर
और कोई सरक गया है दुकान मे मुँह फेर कर

आज जब वह जा रही है
भीड़ ने रास्ता दे दिया है उसे सहम कर

भारी भरकम गाड़ियाँ गुर्राना छोड़
दो पल के लिए एक तरफ हो गई हैं
चौराहे पर उस वर्दी धारी सिपाही ने भी
अदब से सलाम ठोक दिया है !

आज जब वह जा रही है
तो लगने लगा है सहसा
मुझे
इस घर को
और पूरे शहर को
कि वह थी .......
वह थी
और अब नहीं रही !

21.06.2007


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

स्वतंत्र लेखन वृक्ष