"हिमाचल से रिपोर्ट -अनूप सेठी": अवतरणों में अंतर
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पाँच | पाँच कविताएँ | ||
'''1. ज्वालाजी''' | '''1. ज्वालाजी''' | ||
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पहाड़ों की चोटी पर घिरी अकेली जल रही है माता ज्चालीमुखी | पहाड़ों की चोटी पर घिरी अकेली जल रही है माता ज्चालीमुखी | ||
बूढ़े | बूढ़े ज़मींदार की विधवा पान सुपारी चुभलाती | ||
सेना की किसी टुकड़ी ने बना दिया | सेना की किसी टुकड़ी ने बना दिया | ||
पंक्ति 73: | पंक्ति 73: | ||
ब्रह्म मुहूर्त के शंख नाद से जरा पहले | ब्रह्म मुहूर्त के शंख नाद से जरा पहले | ||
चाय पीते मुसाफिरों को समझ नहीं आ रहा | चाय पीते मुसाफिरों को समझ नहीं आ रहा | ||
पेशाब करने के लिए बिजली के खंभे से | पेशाब करने के लिए बिजली के खंभे से ज़्यादा दूर क्यों जाएं | ||
हैंड पंप के पानी से मुंह धोने के बाद भी | हैंड पंप के पानी से मुंह धोने के बाद भी | ||
पंक्ति 79: | पंक्ति 79: | ||
यूं ही पांव पसारे लटका रहेगा | यूं ही पांव पसारे लटका रहेगा | ||
कल आने वाले ग्राहकों या इस वक्त | कल आने वाले ग्राहकों या इस वक्त | ||
टैक्सी का | टैक्सी का दरवाज़ा खोलकर खर्राटे लेते ड्राइवर को क्या फ पड़ेगा | ||
पंक्ति 105: | पंक्ति 105: | ||
दूर नीचे दिखती चट्टानें | दूर नीचे दिखती चट्टानें | ||
गहरा निर्मल ठंडा पानी | गहरा निर्मल ठंडा पानी | ||
हर | हर चीज़ तब कितनी विशाल थी | ||
कितना संकरा हो गया देखते उेखते थका थका | कितना संकरा हो गया देखते उेखते थका थका | ||
पंक्ति 118: | पंक्ति 118: | ||
पी डब्लयू डी की वशॉप घों घों करती ग्रीस बहाती रहती है | पी डब्लयू डी की वशॉप घों घों करती ग्रीस बहाती रहती है | ||
गोरखा भवन में मंदिर का आहाता फैल गया है | गोरखा भवन में मंदिर का आहाता फैल गया है | ||
चांदमारी के पास बावड़ी का पानी | चांदमारी के पास बावड़ी का पानी साफ़ नहीं रहा | ||
राजस्थान से | राजस्थान से मज़दूर आए | ||
उनके बच्चों की आंखों में धुंआ धुंआ पीलाई | उनके बच्चों की आंखों में धुंआ धुंआ पीलाई | ||
पंक्ति 127: | पंक्ति 127: | ||
खड्ड की पीठ से चिपकने लगीं | खड्ड की पीठ से चिपकने लगीं | ||
ज़्यादा सफल लोगों की शहरी सी दिखती नावाकिफ इमारतें | |||
इस | इस उम्रदराज़ पुल का घिसना तय था | ||
खड्ड के साथ हारने को बजिद्द | खड्ड के साथ हारने को बजिद्द | ||
छोटा भी पड़ गया मरजाणा | छोटा भी पड़ गया मरजाणा | ||
पंक्ति 137: | पंक्ति 137: | ||
भेखलटी में धूप सबसे पहले आएगी | भेखलटी में धूप सबसे पहले आएगी | ||
ठियोग के | ठियोग के शालीबाज़ार के पीछे जब पहुँचेगी | ||
बहुत से लोग तब तक शिमला पहुँच चुके होंगे | बहुत से लोग तब तक शिमला पहुँच चुके होंगे | ||
पंक्ति 149: | पंक्ति 149: | ||
खचाखच भरी पहाड़ी सैरगाह के पिछवाड़े | खचाखच भरी पहाड़ी सैरगाह के पिछवाड़े | ||
बसा यह | बसा यह क़स्बा | ||
ट्रकों बसों की आवाजाही से थका | ट्रकों बसों की आवाजाही से थका | ||
तहसील के | तहसील के दफ़्तरों को लादे खड़ा | ||
सेबों की साज संभाल में माँदा हुआ जाता | सेबों की साज संभाल में माँदा हुआ जाता | ||
सोडियम पके आमों को निहारता | सोडियम पके आमों को निहारता | ||
पंक्ति 173: | पंक्ति 173: | ||
बच्चे आए रबर पेंसिल के साथ ले गए | बच्चे आए रबर पेंसिल के साथ ले गए | ||
जालिम से दिखते अँतर्राष्ट्रीय पहलवानों के | जालिम से दिखते अँतर्राष्ट्रीय पहलवानों के मुफ़्त स्टिकर | ||
बजती रही कैसेट बेरोक | बजती रही कैसेट बेरोक | ||
पंक्ति 183: | पंक्ति 183: | ||
घिसती रही कैसेट | घिसती रही कैसेट | ||
दिहाड़ी से लौटे | दिहाड़ी से लौटे मज़दूर | ||
दुआ सलाम के वास्ते | दुआ सलाम के वास्ते | ||
पल भर रुके | पल भर रुके ज़रूर | ||
पड़े नहीं पर भाइयों के कानों में गीत | पड़े नहीं पर भाइयों के कानों में गीत | ||
हालाँकि वही था तब वहाँ | हालाँकि वही था तब वहाँ | ||
पंक्ति 198: | पंक्ति 198: | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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{{समकालीन कवि}} | {{समकालीन कवि}} | ||
[[Category:समकालीन साहित्य]] | [[Category:समकालीन साहित्य]] |
10:51, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
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पाँच कविताएँ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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