"गीता 14:26": अवतरणों में अंतर
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< | [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ने दूसरा कोई उपाय जानने की इच्छा से प्रश्न किया था, इसलिये प्रश्न के अनुकूल भगवान् दूसरा सरल उपाय बतलाते हैं- | ||
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जो पुरुष अव्यभिचारी भक्ति योग के द्वारा मुझ को निरन्तर भजता है, वह भी इन तीनों गुणों को भली-भाँति लाँघकर सच्चिदानन्दघन ब्रह्म को प्राप्त होने के लिये योग्य बन जाता है ।।26।। | |||
जो पुरुष अव्यभिचारी भक्ति योग के द्वारा मुझ को निरन्तर भजता है , वह भी इन तीनों गुणों को | |||
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He too who constantly worships Me through the Yoga of exclusive devotion,—transcending these three Gunas, becomes eligible for attaining Brahma.(26) | He too who constantly worships Me through the Yoga of exclusive devotion,—transcending these three Gunas, becomes eligible for attaining Brahma.(26) | ||
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10:37, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-14 श्लोक-26 / Gita Chapter-14 Verse-26
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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