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दुख का पहाड़ खड़ा है बच्चे !
नन्हे हाथों से कुरेदोगे पहाड़
रत्ती भर खरोंच भी नहीं पाओगे
ज़िंदगी भर काटते रहोगे।
एक आँसू की डली तैरेगी
धुँधली हो के ही फैलेगी सारी दुनिया।
बस जबड़े कसके रहो
हो तो आंख झपकना मत।
                  (1985)
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सामना -अनूप सेठी
जगत में मेला' का आवरण चित्र
जगत में मेला' का आवरण चित्र
कवि अनूप सेठी
मूल शीर्षक जगत में मेला
प्रकाशक आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड,एस. सी. एफ. 267, सेक्‍टर 16,पंचकूला - 134113 (हरियाणा)
प्रकाशन तिथि 2002
देश भारत
पृष्ठ: 131
भाषा हिन्दी
विषय कविता
प्रकार काव्य संग्रह
अनूप सेठी की रचनाएँ

दुख का पहाड़ खड़ा है बच्चे !
नन्हे हाथों से कुरेदोगे पहाड़

रत्ती भर खरोंच भी नहीं पाओगे
ज़िंदगी भर काटते रहोगे।

एक आँसू की डली तैरेगी
धुँधली हो के ही फैलेगी सारी दुनिया।

बस जबड़े कसके रहो
हो तो आंख झपकना मत।
                   (1985)


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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