"गीता 14:10": अवतरणों में अंतर
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सत्व आदि तीनों गुण जिस समय अपने-अपने कार्य में जीव को नियुक्त करते हैं, उस समय वे ऐसे करने में किस प्रकार समर्थ होते हैं- | सत्व आदि तीनों गुण जिस समय अपने-अपने कार्य में जीव को नियुक्त करते हैं, उस समय वे ऐसे करने में किस प्रकार समर्थ होते हैं- | ||
यह बात अगले श्लोक में बतलाते हैं- | यह बात अगले [[श्लोक]] में बतलाते हैं- | ||
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हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! रजोगुण और तमोगुण को दबाकर सत्त्वगुण होता है और सत्त्वगुण तथा तमोगुण को दबाकर रजोगुण, वैसे ही सत्त्वगुण और रजोगुण को दबाकर तमोगुण होता है अर्थात् बढ़ता है ।।10।। | |||
हे < | |||
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Overpowering rajas and tamas, sattva previls; overpowering sattva and tamas, rajas previls even so, overpowering sattva and rajas, tamas, rajas prevails even so, overpowering sattva and rajas, tamas. (10) | Overpowering rajas and tamas, sattva previls; overpowering sattva and tamas, rajas previls even so, overpowering sattva and rajas, tamas, rajas prevails even so, overpowering sattva and rajas, tamas. (10) | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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10:24, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-14 श्लोक-10 / Gita Chapter-14 Verse-10
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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