"गीता 14:24": अवतरणों में अंतर
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जो निरन्तर आत्मभाव में स्थित, दु:ख-सुख को समान समझने वाला, मिट्टी, पत्थर और स्वर्ण में समान भाव वाला, ज्ञानी, प्रिय तथा अप्रिय को एक सा मानने वाला और अपनी निन्दा-स्तुति में भी समान भाव वाला है ।।24।। | |||
जो निरन्तर आत्मभाव में स्थित, दु:ख- | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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10:35, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-14 श्लोक-24 / Gita Chapter-14 Verse-24
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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