"गीता 14:20": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - '<td> {{गीता अध्याय}} </td>' to '<td> {{गीता अध्याय}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>')
 
छो (1 अवतरण)
(कोई अंतर नहीं)

10:30, 21 मार्च 2010 का अवतरण

गीता अध्याय-14 श्लोक-20 / Gita Chapter-14 Verse-20


गुणानेतानतीत्य त्रीन्देही देहसमुद्भवान् ।
जन्ममृत्युजरादु:खैर्विमुक्तोऽमृतमश्नते ।।20।।



यह पुरुष शरीर की उत्पत्ति के कारण रूप इन तीनों गुणों को उल्लंघन करके जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था और सब प्रकार के दु:खों से मुक्त हुआ परमानन्द को प्राप्त होता है ।।20।।

Having transcended the aforesaid three Gunas, which have caused the body, and freed from birth, death, old age and all kinds of sorrow, this soul attains supreme bliss. (20)


देही = पुरुष ; एतान् = इन ; त्रीन् = तीनों ; गुणान् = गुणोंको ; अतीत्य = उल्लंघन करके ; जन्ममृत्युजरादु:खै: = जन्म मृत्यु वृद्धावस्था और सब प्रकार के दु:खों से ; देहसमुभ्दवान् = स्थूल शरीर की उत्पत्ति के कारण रूप ;विमुक्त: = मुक्त हुआ ; अमृतम् = परमानन्दको ; अश्नुते = प्राप्त होता है



अध्याय चौदह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-14

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)