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गीता अध्याय-16 श्लोक-14 / Gita Chapter-16 Verse-14

असौ मया हत: शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि ।

ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान्सुखी ।।14।।


वह शत्रु मेरे द्वारा मारा गया और उन दूसरे शत्रुओं को भी मैं मार डालूँगा । मैं ईश्वर हूँ, ऐश्वर्य को भोगने वाला हूँ । मैं सब सिद्धियों से युक्त हूँ और बलवान् तथा सुखी हूँ ।।14।।

That enemy has been slain by me and I shall kill those others too. I am the Lord of all, the enjoyer of all power; I am endowed with all supernatural powers, and am mighty and happy. (14)


असौ = वह ; शत्रु: = शत्रु ; मया = मेरे द्वारा ; हत: = मारा गया(और) ; अपरान् = दूसरे शत्रुओं को ; अपि = भी ; अहम् = मैं ; हनिष्ये = मारूंगा (तथा) ; अहम् = मैं ; ईश्र्वर: = ईश्र्वर ; च = और ; भोगी = ऐश्वर्य को भोगने वाला हूं (और) ; अहम् = मैं ; सिद्ध: = सब सिद्धियों से युक्त (एवं) ; बलवान् = बलवान् (और) ; सुखी = सुखी हूं ;



अध्याय सोलह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-16

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15, 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)