"गीता 5:4": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "सन्यास" to "सन्न्यास") |
||
पंक्ति 30: | पंक्ति 30: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
सांख्ययोगौ = | सांख्ययोगौ = सन्न्यास और निष्काम कर्मयोग को; बाला: = मूर्ख लोग; पृथक् = अलग अलग (फल वाले); प्रवदन्ति = कहते हैं; न = न कि; पण्डितजन; (क्योंकि दोनों में से ) ; एकम् = एक में, अपि = भी; सम्यक = अच्छी प्रकार; आस्थित: = स्थित हुआ (पुरुष); उभयो: = दोनों के; फलम् = फलरूप परमात्मा को; विन्दते = प्राप्त होता है | ||
|- | |- | ||
|} | |} |
12:04, 2 मई 2015 का अवतरण
गीता अध्याय-5 श्लोक-4 / Gita Chapter-5 Verse-4
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||