"गीता 14:6": अवतरणों में अंतर
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अनघ = हे निष्पाप ; तत्र = उन तीनों गुणों में ; प्रकाशकम् = प्रकाश | अनघ = हे निष्पाप ; तत्र = उन तीनों गुणों में ; प्रकाशकम् = प्रकाश करने वाला ; सत्त्वम् = सत्त्वगुण (तो) ; निर्मलत्वात् = निर्मल होने के कारण ; सुखसग्डेन = सुखकी आसक्तिसे ; च = और ; ज्ञानसग्डेन = ज्ञान की आसक्ति से अर्थात् ज्ञानके अभिमान से ; बध्राति = बांधता है | ||
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13:52, 6 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-14 श्लोक-6 / Gita Chapter-14 Verse-6
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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