छतड़ू में कैम्प फायर -अजेय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:18, 26 जनवरी 2017 का अवतरण (Text replacement - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{स्वतंत्र लेख}}")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।
छतड़ू में कैम्प फायर -अजेय
कवि अजेय
जन्म स्थान (सुमनम, केलंग, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अजेय की रचनाएँ

ऐसे ही बैठे थे
फायरप्लेस के आगे
हम पाँच या छह जने
कि अचानक उतर आया जीजस
दीवार पर टँगी सूली से
चुपचाप शामिल हो गया
हमारी गपशप मे

रात भर बतियाते रहे हम
अलाव तापते
बीयर के साथ
दुनियादारी और मौसम की बातें
बातें, फूलों रंगों और कीट पतंगों की
बातें , आदमी और पैसे
और ताक़त से होते हुए
युद्धों की , हड़तालों , कर्फ्यू और दंगों की

हँसता रहा पैगम्बर रात भर !

फिर सरूर में
पप्पू ने गिटार उठाई
शामू ने बाँसुरी
मैंने सीटी और स्वामी ने ताली बजाई

और बहुत झूम कर ईश्वर के बेटे ने गाया
एक दिलकश जिप्सी गीत --
“ वह मरा नहीं
वह सो रहा है
और मैं उसे देख नहीं सकता  !”


1989


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

स्वतंत्र लेखन वृक्ष