ऐसे ही बैठे थे
फायरप्लेस के आगे
हम पाँच या छह जने
कि अचानक उतर आया जीजस
दीवार पर टँगी सूली से
चुपचाप शामिल हो गया
हमारी गपशप मे
रात भर बतियाते रहे हम
अलाव तापते
बीयर के साथ
दुनियादारी और मौसम की बातें
बातें, फूलों रंगों और कीट पतंगों की
बातें , आदमी और पैसे
और ताक़त से होते हुए
युद्धों की , हड़तालों , कर्फ्यू और दंगों की
हँसता रहा पैगम्बर रात भर !
फिर सरूर में
पप्पू ने गिटार उठाई
शामू ने बाँसुरी
मैंने सीटी और स्वामी ने ताली बजाई
और बहुत झूम कर ईश्वर के बेटे ने गाया
एक दिलकश जिप्सी गीत --
“ वह मरा नहीं
वह सो रहा है
और मैं उसे देख नहीं सकता !”
1989