श्रेष्ठ कर्म का तो सात्विक अर्थात् सुख, ज्ञान और वैराग्यादि निर्मल फल कहा है; राजस कर्म का फल दु:ख एवं तामस कर्म का फल अज्ञान कहा है ।।16।।
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The reward of a righteous act, they say, is Sattvika and faultless (in the shape of joy, wisdom and dispassion etc.); sorrow is declared to be the fruit of a Rajas act and ignorance, the result of a Tamas act. (16)
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