जिस समय इस देह में तथा अन्त:करण और इन्द्रियों में चेतनता और विवेकशक्ति उत्पन्न होती है, उस समय ऐसा जानना चाहिये कि सत्त्वगुण बढ़ा है ।।11।।
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When light and discernment dawn in this body, as well as in the mind and senses, then one should know that Sattva is predominant. (11)
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