जो पुरुष सब कर्मों को परमात्मा में अर्पण करके और आसक्ति को त्याग कर कर्म करता है, वह पुरुष जल से कमल के पत्ते की भाँति पाप से लिप्त नहीं होता है ।।10।।
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He who acts offering all actions to God, and shaking off attachment, remains untouched by sin, as the lotus leaf by water.(10)
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