हे निष्पाप ! उन तीनों गुणों में सत्त्वगुण तो निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला और विकार रहित है, वह सुख के संबंध से और ज्ञान के संबंध से अर्थात् उसके अभिमान से बाँधता है ।।6।।
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Of these sattva, being immaculate, is illuminating and flawless, Arjuna; it binds through identification with joy and wisdom. (6)
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