उष्ण कटिबंध
उष्ण कटिबंध (अंग्रेज़ी: Tropical Zone) पृथ्वी का वह क्षेत्र, जो भूमध्य रेखा के दोनों ओर अयनवृत्तों, अर्थात कर्क तथा मकर वृत्त, के मध्य स्थित है। इस कटिबंध में स्थित प्रत्येक भाग में वर्ष में कम से कम एक दिन सूर्य की किरणें अवश्य लम्बवत् पड़ती हैं। इस कटिबंध के बाहर उत्तर या दक्षिण सूर्य कभी भी लम्बवत् नहीं होता है।
सूर्य किरण की स्थिति
उष्ण कटिबंध में सूर्य की किरणें कभी भी अधिक तिरछी नहीं होने पाती हैं, जिसके कारण यहाँ वर्ष भर तापमान ऊँचा रहता है। यद्यपि भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण की ओर बढ़ने पर तापंतर में वृद्धि होती जाती है। भूमध्य रेखा के समीपस्थ भागों में तापमान सदैव ऊँचा रहता है और शीत ऋतु नहीं होती है; किन्तु कर्क एवं मकर रेखाओं के समीप शीत तथा ग्रीष्म ऋतु स्पष्ट हो जाती हैं।
विस्तार
समान जलवायविक दशाओं के आधार पर उष्ण कटिबंध का विस्तार 300 उत्तर अक्षांश से 300 दक्षिण अक्षांश तक भी माना जाता है।[1] हालांकि आम जनमत यह है कि ऊष्ण कटिबंध एक गर्म इलाका है, जहाँ हमेशा वर्षा होती रहती है और हरियाली रहती है, लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है। यहाँ ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहाँ पर ख़ुश्क और नम मौसम पाए जाते हैं। नम मौसम तब होता है, जब उस इलाके में वर्ष के औसत की अधिकतम वर्षा होती है। इसको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 'हरित ऋतु' का नाम भी दिया जाता है।
वर्षा
नम इलाके पूरे ऊष्ण और उप-ऊष्ण कटिबंध में फैले हुए हैं। नम महीना वह होता है, जिसमें 60 मि.मी. या अधिक वर्षा हो। ऊष्ण कटिबंधीय वनों में ख़ुश्क और नम मौसम नहीं पाया जाता है, क्योंकि यहाँ पूरे साल भर समान रूप से वर्षा होती है।] आमतौर पर वर्षा ऋतु ख़ुश्क गर्म मौसम के अन्त में शुरू होती है। कुछ इलाकों में तो इतनी बारिश हो जाती है कि बाढ़ आ जाती है, जिससे मिट्टी का कटाव होता है और मिट्टी की उर्वरता भी घटती है। इस क्षेत्र के अधिकांश जानवरों के लिए यह बहुतायत का मौसम होता है और उनका प्रजनन काल इसी से सम्बद्ध रहता है।
रोग
विश्व के सर्वाधिक घातक रोग इस क्षेत्र में पनपते हैं; क्योंकि यहाँ का वातावरण मच्छरों के पनपने के लिए भी अनुकूल होता है। इसलिए यहाँ मच्छर-सम्बन्धी बीमारियाँ भी बहुत अधिक होती हैं। कई बीमारियाँ तो ऐसी हैं, जो और दूसरे क्षेत्रों में पाई भी नहीं जातीं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ उष्ण कटिबंध (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 09 अप्रैल, 2014।