हे अर्जुन[1] ! मेरी महत्-ब्रह्म रूप मूल प्रकृति सम्पूर्ण भूतों की योनि है अर्थात् गर्भाधान का स्थान है और मैं उस योनि में चेतन-समुदाय रूप गर्भ को स्थापन करता हूँ । उस जड़ चेतन के संयोग से सब भूतों की उत्पत्ति होती है ।।3।।
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My primordial nature, known as the great Brahma, is the womb of all creatures; in that womb I place the seed of all life. The creation of all beings follows from that union of matter and spirit, O Arjuna. (3)
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