कोल्लिटम
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कोल्लिटम तमिलनाडु की एक नदी, जो कावेरी नदी की उत्तरी शाखा है। यह मुख्य नदी से त्रिचनापल्ली से 9 मील पश्चिम में अलग होती है। इसकी लंबाई 94 मील, प्रवाह क्षेत्र 1,404 वर्गमील है। इस नदी को 'कोल्लिडम' या 'कोलेरून' भी कहा जाता है।
- कोल्लिटम नदी 17 मील तक कावेरी के समांतर बहकर उसके अति निकट आ जाती है और इस प्रकार वह श्रीरंगम द्वीप का निर्माण करती है। तदनंतर उत्तर-पूर्व को मुड़कर दक्षिण अर्काट तथा तंजौर ज़िलों की सीमा बनाती हुई देवीकोट्ट के निकट 'बंगाल की खाड़ी' में गिरती है।
- इस नदी की धारा मुख्य नदी की धारा से अपेक्षाकृत निम्न भाग की ओर बहती है। अत: अधिक जल इसी धारा से बहता था। इस क्रिया को रोकने और तंजौर ज़िले की भूमि को पानी की कमी से बचाने के लिए ऐतिहासिक काल से ही प्रयत्न होते रहे हैं।[1]
- सर्वप्रथम चोल राजाओं ने, जहाँ कोल्लिटम नदी उत्तर-पूर्व की ओर मुड़ती है, वहाँ 1,080 लंबा और 40 से 60 फ़ुट चौड़ा बाँध बनवाया था।
- 1836-38 ई. में ब्रिटिश सरकार ने, जहाँ यह मुख्य धारा से अलग होती है, वहाँ एक दूसरा बाँध बनवाया। इन बाँधों से नहरें निकालकर सिंचाई का कार्य किया जाता है।
- एक तीसरा बाँध दूसरे बाँध से 70 मील दूर प्रवाह की ओर बनाया गया है। इससे दक्षिण अर्काट और तंजौर ज़िले की अधिकांश भूमि सिंचाई की जाती है।
- कोल्लिटम नदी में कुछ दूर तक छोटे-छोटे जहाज़ भी आ सकते हैं।
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