तृतीया नदी का उल्लेख महाभारत, सभापर्व[1] में हुआ है-
'तृतीया ज्येष्ठिलाचैव शौणश्चापि महानद: चर्मण्वती तथा चैव पर्णाशाच महानदी'।
- तृतीया नदी का 'ज्येष्ठिला' (सोन की सहायक जोहिला) और 'शोण' (सोन) के साथ उल्लेख है।
- इस उल्लेख के आधार पर यह नदी बिहार के सोन के निकट बहने वाली कोई नदी जान पड़ती है।
- तृतीय नदी का अभिज्ञान अनिश्चित है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 409 |