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माल्यवती नदी चित्रकूट के निकट बहने वाली मंदाकिनी जान पड़ती है-[1]
कालिदास ने चित्रकूट के निकट बहने वाली मंदाकिनी को भूमि के गले में पड़ी हुई मौक्तिक माला के समान बताया है।
- 'सुरम्यमासाद्य तु चित्रकूटं नदी च तां माल्यवतीं सुतीर्याम् ननद ह्रष्टो मृगपक्षिजुष्टां जहौ च दु:खं पुरविप्रवासात'।