वसिष्ठा गोदावरी की एक शाखा या उपनदी का नाम है।[1]
- गोदावरी की सात धाराएँ- 'गौतमी', 'वसिष्ठा', 'कौशिकी', 'वृद्ध गौतमी', 'भारद्वाजी', 'आत्रेयी' और 'तुल्या' अतीव प्रसिद्ध है। पुराणों में इनका वर्णन मिलता है। इन्हें महापुण्यप्राप्ति कारक बताया गया है-
सप्तगोदावरी स्नात्वा नियतो नियताशन: ।
महापुण्यमप्राप्नोति देवलोके च गच्छति ॥
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 837 |