"गीता 3:3": अवतरणों में अंतर
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पूर्व श्लोक में भगवान् ने जो यह बात कही है कि सांख्यनिष्ठा ज्ञान योग के साधन से होती है और योगनिष्ठा कर्मयोग के साधन से होती है, उसी बात को सिद्ध करने के लिये अब यह दिखलाते है कि कर्तव्य कर्मो का स्वरूप-त्याग किसी भी निष्ठा का हेतु नहीं है- | पूर्व [[श्लोक]] में भगवान् ने जो यह बात कही है कि सांख्यनिष्ठा ज्ञान योग के साधन से होती है और योगनिष्ठा कर्मयोग के साधन से होती है, उसी बात को सिद्ध करने के लिये अब यह दिखलाते है कि कर्तव्य कर्मो का स्वरूप-त्याग किसी भी निष्ठा का हेतु नहीं है- | ||
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09:41, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-3 श्लोक-3 / Gita Chapter-3 Verse-3
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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