"गीता 3:23": अवतरणों में अंतर

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क्योंकि हे <balloon title="पार्थ, भारत, धनज्जय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है ।" style="color:green">पार्थ</balloon> ! यदि कदाचित मैं सावधान होकर कर्मों में न बरतूँ तो बड़ी हानि हो जायगी, क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं ।।23।।
क्योंकि हे पार्थ<ref>पार्थ, भारत, धनज्जय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! यदि कदाचित मैं सावधान होकर कर्मों में न बरतूँ तो बड़ी हानि हो जायगी, क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं ।।23।।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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10:30, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

गीता अध्याय-3 श्लोक-23 / Gita Chapter-3 Verse-23

यदि ह्राहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रित: ।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्या: पार्थ सर्वश: ।।23।।



क्योंकि हे पार्थ[1] ! यदि कदाचित मैं सावधान होकर कर्मों में न बरतूँ तो बड़ी हानि हो जायगी, क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं ।।23।।

Should I not engage in action, scrupulously at any time, great harm will come to the world; for, Arjuna, men follow my way in all matters.(23)


हि = क्योंकि = यदि = यदि ; अहम् = मैं ; अतन्द्रित: = सावधान हुआ ; जातु = कदाचित ; मनु ष्या: = मनुष्य ; मम = मेरे ; वर्त्म = बर्ताव के ; कर्मणि = कर्म में ; न = न ; वर्तेयम् = बर्तू (तो) ; पार्थ = हे अर्जुन ; सर्वश: = सब प्रकार से ; अनुवर्तन्ते = अनुसार बर्तते हैं अर्थात् बर्तने लग जायं ;



अध्याय तीन श्लोक संख्या
Verses- Chapter-3

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14, 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पार्थ, भारत, धनज्जय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।

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