"गीता 3:30": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार < | इस प्रकार [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> को उनके कल्याण का निश्चित साधन बतलाते हुए भगवान् उन्हें युद्ध करने की आज्ञा देकर अब उसका अनुष्ठान करने के फल का वर्णन करते हैं- | ||
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मुझ अन्तर्यामी परमात्मा में लगे हुए चित्त द्वारा | मुझ अन्तर्यामी परमात्मा में लगे हुए चित्त द्वारा सम्पूर्ण कर्मों को मुझ में अर्पण करके आशा रहित, ममतारहित और सन्तापरहित होकर युद्ध कर ।।30।। | ||
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10:42, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-3 श्लोक-30 / Gita Chapter-3 Verse-30
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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