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'''उत्कल तटीय मैदान''' [[उड़ीसा]] के तटीय क्षेत्र का भाग है। | '''उत्कल तटीय मैदान''' [[उड़ीसा]] के तटीय क्षेत्र का भाग है। यह मैदान [[गंगा]] के डेल्टाई मैदान से लेकर [[महानदी]] के [[डेल्टा]] तक फैला हुआ है। इसी तटीय मैदान में प्रसिद्ध [[चिल्का झील]] भी आती है। यह झील [[भारत]] की सबसे बड़ी झील है। लगभग 41, 400 वर्ग किमी में फैला यह मैदान पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]], दक्षिण में [[आंध्र प्रदेश|आंध्र]] का मैदान, उत्तर में [[गंगा]] का निचला मैदान और पश्चिम में पूर्वी घाट की पहाड़ियों से घिरा है। उत्कल मैदान तटीय निम्न भूमि है, जिसमें मुख्यत: महानदी डेल्टा के निक्षेप और समुद्री अवसाद हैं तथा वह लगभग 76 मीटर की ऊचांई पर पूर्वी घाट से मिलता है। इस मैदानी क्षेत्र की तटरेखा लगभग सीधी है। | ||
==इतिहास== | |||
तीसरी शताब्दी ई.पू. में सम्राट [[अशोक]] के काल में इस क्षेत्र के हिस्से के रूप में इस क्षेत्र का विवरण [[धौली]] (जहां अशोक ने [[कलिंग]] का प्रख्यात युद्ध किया था) के [[शिलालेख|शिलालेखों]] में भी मिलता है। सातवाहन, कार तथा पूर्वी गंगा के प्राचीन वंशों ने इस क्षेत्र पर क्रमश: शासन किया और और 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इस क्षेत्र पर [[मुसलमान|मुसलमानों]] और बाद में मराठों का अधिकार हो गया। 1804 में अंग्रेजों का मैदानी क्षेत्र पर नियंत्रण हो गया। | |||
==भौगोलिक विशेषताएँ== | |||
नए और तृतीयक जलोढ़ निक्षेप, जिसके बीच-बीच में आद्य महाकल्प काल (आर्कियन काल) के प्राचीन पट्टिताश्म और बलुआ पत्थर हैं, से बना यह मैदान डेल्टा क्षेत्र में सबसे अधिक चौड़ा है। बंगाल की खाड़ी के किनारे मुख्यत: भाटा के दौरान चलने वाली हवा के कारण निर्मित ग्रेनाइट तथा ज़रकॉन के विखंडन से बने रेत के टीले तथा समुद्रताल भी पाए जाते हैं। इस क्षेत्र (दक्षिण-पश्चिम) में स्थित विशालतम झील, चिल्का, का जल खारा है; सामंग और सर (क्रमश: पुरी के उत्तर और पूर्वोत्तर में) मीठे पानी की झीलें हैं। केंद्रापड़ा, जगतसिंहपुर, भद्रक तथा बालेश्वर ज़िलों के तटीय क्षेत्र में तटवर्ती वन पाए जाते हैं तथा पुरी, खुरदा, [[कटक]] और जाजपुर ज़िलों के अंदरूनी हिस्सों में उष्णकटिबंधीय नम, पर्वपाती वन पाए जाते हैं। [[महानदी]], [[ब्राह्मणी नदी|ब्राह्मणी]], वैतरणी और सुवर्णरेखा नदियों के संयुक्त बहिर्वाह से मैदान के पूर्वी-मध्य हिस्से में महानदी डेक्टा का निर्माण हुआ है। | |||
==कृषि एवं उद्योग== | |||
इस क्षेत्र में उपजाऊ [[लाल रंग|लाल]] तथा [[जलोढ़ मिट्टी]] है। कृषि मुख्य पेशा है तथा [[चावल]] प्रमुख फ़सल है; दलहन तथा [[तिलहन]] की भी खेती होती है। मैदानी क्षेत्र में स्थित बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के कारण दो फ़सलें उगाना संभव हो गया है। [[कोलकाता]] (भूतपूर्व कलकत्ता)-[[चेन्नई]] (भूतपूर्व [[मद्रास]]) रेलमार्ग पर [[कटक]], [[भुवनेश्वर]] और [[पुरी]] जैसे शहरी क्षेत्रों में केंद्रित उद्योग में काग़ज़ मिल, रेफ़्रिजरेटर संयंत्र और चीनी मिट्टी के बर्तन, कांच, रिफ़्रैक्ट्री, वस्त्र और गैल्वेनाइज़्ड पाइप निर्माण संयंत्र शामिल हैं। अन्य उद्योग में आरा मिल, [[नारियल]] के रेशों से वस्तुओं का निर्माण, जहाज़ मरम्मत तथा फ़ॉस्फ़ेट, उर्वरक और टायर का निर्माण शामिल हैं; यहां रेल के डिब्बो की कर्मशाला, पत्थरों की कटाई और प्रसंस्करण मिल, एल.पी.जी. गैस भरने का संयंत्र भी स्थित है। [[महानदी]] डेल्टा के पास उत्कल मैदान के मध्यवर्ती हिस्से में स्थित कटक-चौद्वार औद्योगिक क्षेत्र का राज्य के औद्योगिक विकास पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। इस मैदान में सड़क और रेलमार्ग का संजाल है, कटक केंद्रापड़ा और जगतसिंहपुर ज़िलों में अंतर्देशीय जलमार्ग तथा भुवनेश्वर में हवाई अड्डा है। | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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*पुस्तक- भारत ज्ञानकोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 207 | एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली | |||
==बाहरी कड़ियाँ== | |||
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11:15, 1 जून 2017 के समय का अवतरण
उत्कल तटीय मैदान उड़ीसा के तटीय क्षेत्र का भाग है। यह मैदान गंगा के डेल्टाई मैदान से लेकर महानदी के डेल्टा तक फैला हुआ है। इसी तटीय मैदान में प्रसिद्ध चिल्का झील भी आती है। यह झील भारत की सबसे बड़ी झील है। लगभग 41, 400 वर्ग किमी में फैला यह मैदान पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में आंध्र का मैदान, उत्तर में गंगा का निचला मैदान और पश्चिम में पूर्वी घाट की पहाड़ियों से घिरा है। उत्कल मैदान तटीय निम्न भूमि है, जिसमें मुख्यत: महानदी डेल्टा के निक्षेप और समुद्री अवसाद हैं तथा वह लगभग 76 मीटर की ऊचांई पर पूर्वी घाट से मिलता है। इस मैदानी क्षेत्र की तटरेखा लगभग सीधी है।
इतिहास
तीसरी शताब्दी ई.पू. में सम्राट अशोक के काल में इस क्षेत्र के हिस्से के रूप में इस क्षेत्र का विवरण धौली (जहां अशोक ने कलिंग का प्रख्यात युद्ध किया था) के शिलालेखों में भी मिलता है। सातवाहन, कार तथा पूर्वी गंगा के प्राचीन वंशों ने इस क्षेत्र पर क्रमश: शासन किया और और 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इस क्षेत्र पर मुसलमानों और बाद में मराठों का अधिकार हो गया। 1804 में अंग्रेजों का मैदानी क्षेत्र पर नियंत्रण हो गया।
भौगोलिक विशेषताएँ
नए और तृतीयक जलोढ़ निक्षेप, जिसके बीच-बीच में आद्य महाकल्प काल (आर्कियन काल) के प्राचीन पट्टिताश्म और बलुआ पत्थर हैं, से बना यह मैदान डेल्टा क्षेत्र में सबसे अधिक चौड़ा है। बंगाल की खाड़ी के किनारे मुख्यत: भाटा के दौरान चलने वाली हवा के कारण निर्मित ग्रेनाइट तथा ज़रकॉन के विखंडन से बने रेत के टीले तथा समुद्रताल भी पाए जाते हैं। इस क्षेत्र (दक्षिण-पश्चिम) में स्थित विशालतम झील, चिल्का, का जल खारा है; सामंग और सर (क्रमश: पुरी के उत्तर और पूर्वोत्तर में) मीठे पानी की झीलें हैं। केंद्रापड़ा, जगतसिंहपुर, भद्रक तथा बालेश्वर ज़िलों के तटीय क्षेत्र में तटवर्ती वन पाए जाते हैं तथा पुरी, खुरदा, कटक और जाजपुर ज़िलों के अंदरूनी हिस्सों में उष्णकटिबंधीय नम, पर्वपाती वन पाए जाते हैं। महानदी, ब्राह्मणी, वैतरणी और सुवर्णरेखा नदियों के संयुक्त बहिर्वाह से मैदान के पूर्वी-मध्य हिस्से में महानदी डेक्टा का निर्माण हुआ है।
कृषि एवं उद्योग
इस क्षेत्र में उपजाऊ लाल तथा जलोढ़ मिट्टी है। कृषि मुख्य पेशा है तथा चावल प्रमुख फ़सल है; दलहन तथा तिलहन की भी खेती होती है। मैदानी क्षेत्र में स्थित बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के कारण दो फ़सलें उगाना संभव हो गया है। कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता)-चेन्नई (भूतपूर्व मद्रास) रेलमार्ग पर कटक, भुवनेश्वर और पुरी जैसे शहरी क्षेत्रों में केंद्रित उद्योग में काग़ज़ मिल, रेफ़्रिजरेटर संयंत्र और चीनी मिट्टी के बर्तन, कांच, रिफ़्रैक्ट्री, वस्त्र और गैल्वेनाइज़्ड पाइप निर्माण संयंत्र शामिल हैं। अन्य उद्योग में आरा मिल, नारियल के रेशों से वस्तुओं का निर्माण, जहाज़ मरम्मत तथा फ़ॉस्फ़ेट, उर्वरक और टायर का निर्माण शामिल हैं; यहां रेल के डिब्बो की कर्मशाला, पत्थरों की कटाई और प्रसंस्करण मिल, एल.पी.जी. गैस भरने का संयंत्र भी स्थित है। महानदी डेल्टा के पास उत्कल मैदान के मध्यवर्ती हिस्से में स्थित कटक-चौद्वार औद्योगिक क्षेत्र का राज्य के औद्योगिक विकास पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। इस मैदान में सड़क और रेलमार्ग का संजाल है, कटक केंद्रापड़ा और जगतसिंहपुर ज़िलों में अंतर्देशीय जलमार्ग तथा भुवनेश्वर में हवाई अड्डा है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- पुस्तक- भारत ज्ञानकोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 207 | एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली
बाहरी कड़ियाँ
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