"गीता 3:24": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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इस प्रकार तीन श्लोकों में कर्मों को सावधानी के साथ न करने और उनका त्याग करने के कारण | इस प्रकार तीन [[श्लोक|श्लोकों]] में कर्मों को सावधानी के साथ न करने और उनका त्याग करने के कारण होने वाले परिणाम का अपने उदाहरण से वर्णन करके, लोकसंग्रह की दृष्टि से सबके लिये विहित कर्मों की अवश्य-कर्तव्यता का प्रतिपादन करने के अनन्तर अब भगवान् उपर्युक्त लोक संग्रह की दृष्टि से ज्ञानी को कर्म करने के लिये प्रेरणा करते हैं- | ||
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चेत् = यदि ; अहम् = मैं ; कर्म = कर्म ; न = न ; कुर्याम् = करूं (तो) ; इमे = यह सब ; लोका: = लोक ; उत्सीदेयु: = भ्रष्ट हो जायं ; च = और (मैं) ; संकरस्य = वर्णसंकरका ; कर्ता ; | चेत् = यदि ; अहम् = मैं ; कर्म = कर्म ; न = न ; कुर्याम् = करूं (तो) ; इमे = यह सब ; लोका: = लोक ; उत्सीदेयु: = भ्रष्ट हो जायं ; च = और (मैं) ; संकरस्य = वर्णसंकरका ; कर्ता ; करने वाला ; स्याम् = होऊं (तथा) ; इमा: = इस सारी ; प्रजा: = प्रजाको ; उपहन्याम् = हनन करूं अर्थात् मारनेवाला बनूं ; | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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13:52, 6 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-3 श्लोक-24 / Gita Chapter-3 Verse-24
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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