"गीता 3:10": अवतरणों में अंतर
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प्रजापति ब्रह्रा ने कल्प के आदि में यज्ञ सहित प्रजाओं को रचकर उनसे कहा कि तुम लोग इस यज्ञ के द्वारा वृद्धि को प्राप्त हो जाओ और यह यज्ञ तुम लोगों को इच्छित भोग प्रदान करने वाला हो ।।10।। | प्रजापति ब्रह्रा ने कल्प के आदि में [[यज्ञ]] सहित प्रजाओं को रचकर उनसे कहा कि तुम लोग इस यज्ञ के द्वारा वृद्धि को प्राप्त हो जाओ और यह यज्ञ तुम लोगों को इच्छित भोग प्रदान करने वाला हो ।।10।। | ||
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sacrifice at the befinning of creation the creator, Brahma, said to them, “You shall prosper by this may this yield the enjoyment you seek." (10) | sacrifice at the befinning of creation the creator, Brahma, said to them, “You shall prosper by this may this yield the enjoyment you seek." (10) | ||
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प्रजापति: = प्रजापति (ब्रह्मा) ने ; पुरा = कल्पके आदिमें ; सहयज्ञा: = यज्ञसहित ; प्रजा: = प्रजाको ; | प्रजापति: = प्रजापति (ब्रह्मा) ने ; पुरा = कल्पके आदिमें ; सहयज्ञा: = यज्ञसहित ; प्रजा: = प्रजाको ; स्रष्टा = रचकर ; उवाच = कहा कि ; अनेन = इस यज्ञद्वारा (तुमलोग) ; प्रसविष्यध्वम् = वृद्धिको प्राप्त होवो (और) ; एष: = यह यज्ञ ; व: = तुमलोगोंको ; इष्टकामधुक् = इच्छित कामनाओंके देनेवाला ; अस्तु = होवे ; | ||
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07:28, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-3 श्लोक-10 / Gita Chapter-3 Verse-10
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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