"गीता 3:13": अवतरणों में अंतर
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यहाँ यह जिज्ञासा होती है कि यज्ञ न करने से क्या हानि है ? इस पर सृष्टि चक्र को सुरक्षित रखने के लिये यज्ञ की आवश्यकता का प्रतिपादन करते हैं- | यहाँ यह जिज्ञासा होती है कि [[यज्ञ]] न करने से क्या हानि है ? इस पर सृष्टि चक्र को सुरक्षित रखने के लिये यज्ञ की आवश्यकता का प्रतिपादन करते हैं- | ||
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यज्ञ से बचे हुए अन्न को खाने वाले श्रेष्ठ पुरुष सब पापों से मुक्त हो जाते हैं और जो पापी लोग अपना शरीर पोषण करने के लिये ही अन्न पकाते हैं, वे तो पाप को खाते हैं ।।13।। | [[यज्ञ]] से बचे हुए अन्न को खाने वाले श्रेष्ठ पुरुष सब पापों से मुक्त हो जाते हैं और जो पापी लोग अपना शरीर पोषण करने के लिये ही अन्न पकाते हैं, वे तो पाप को खाते हैं ।।13।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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10:07, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-3 श्लोक-13 / Gita Chapter-3 Verse-13
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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